जाने क्या है दिल्ली सरकार की वन टाइम सेटलमेंट स्कीम, किसे होगा फ़ायदा

Spread the love

नई दिल्ली : दिल्ली के करीब 10.6 लाख लोग पानी के गलत बिल से परेशान हैं. कोरोना के समय मीटर की रीडिंग नहीं ली गई. दिल्ली में मुफ्त पानी योजना (20 किलो लीटर/माह से कम इस्तेमाल पर) लागू है, ऐसे में अगर किसी का बिल नहीं आया तो उसने अपना बिल जीरो मान लिया. अब बकाया बिल में लेट पेमेंट सरचार्ज जुड़ने की वजह से बिल और बढ़ गया है. परेशान उपभोक्ताओं ने अपना पानी का बिल भरना बंद कर दिया है.इन सब समस्याओं को देखते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम ( Delhi Government’s One Time Settlement scheme ) लेकर आयी है.

वन टाइम सेटलमेंट स्कीम से से मिलेगी राहत

दिल्ली सरकार की वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के तहत जिन उपभोक्ताओं के पानी के बिल गलत हैं उनके किन्हीं दो सही मीटर रीडिंग को आधार मानते हुए उसके औसत के हिसाब से दूसरा बिल दिया जाएगा। जिसे भरने के लिए उन्हें चार महीने का समय मिलेगा, इसके बाद वो नए सिरे से शुरुआत कर सकेंगे.हर महीने 20 हजार किलो लीटर से कम पानी इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं का पूरा बिल माफ हो जाएगा. साथ ही उपभोक्ताओं का लेट पेमेंट सरचार्ज (एलपीएससी) भी पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं के पास चालू मीटर होना जरूरी है. जिसके मीटर खराब हैं, उसे नया मीटर लगवाना होगा।

90 फीसद उपभोक्ताओं का बिल होगा जीरो

इस योजना से दिल्ली जल बोर्ड के 40 फीसद उपभाक्ताओं को लाभ होगा और करीब 90 फीसद उपभोक्ताओं का पूरा बिल जीरो हो जाएगा.इससे लंबे समय से अटके बिलों को भुगतान की समस्या सुलझेगी। उपभाक्ताओं को अपने आप रीकास्ट बिल मिल जाएंगे और उन्हें जल बोर्ड के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.मीटर की अनिवार्यता की वजह से करीब 11 लाख से ज्यादा लोग दिल्ली जल बोर्ड के दायरे में आ जाएंगे.

उपभोक्ता ऐसे कर पाएंगे बकाया पानी बिलों का भुगतान

पहला : अगर उपभोक्ता ने दो से पांच वर्ष तक बिल नहीं भरा है, तो इस दौरान उसके जो दो वाके बिल मिलते हैं, उसे सही मान लिया जाएगा. इसका औसत निकालकर उसी आधार पर बाकी महीनों का बिल लिया जाएगा.

दूसराः यह नेबरहुड पॉलिसी है। अगर किसी के यहां पानी का मीटर ही नहीं है, तो उस स्थिति में उसके गली में उसी साइज वाले मकान से औसतन बिल निकाला जाएगा। इसके बाद, उसी आधार पर उसका बिल बना दिया जाएगा। अगर किसी का औसतन बिल 20 हजार लीटर से कम है, तो उसका सारा बिल जीरो हो जाएगा। जबकि ज्यादा होने पर जुर्माना और ब्याज छोड़कर उससे बाकी बिल लिया जाएगा।