दिल्ली पुलिस क्राइम को रोकने में नाकामयाब , बेखौफ क्रिमनल दे रहें है वारदात को अंजाम :- चौधरी अनिल कुमार

Spread the love

नई दिल्ली :- दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि हाल ही में शाहबाद डेयरी में साक्षी हत्याकांड, आर.के. पुरम दो महिलाओं की हत्या, मंडावली में वृद्धा की सूए घोपकर हत्या, कंझावला में कार द्वारा लड़की को रौंदना, दिल्ली कैंट में नाबालिग से बलात्कार व हत्या, सनलाईट कॉलोनी में बच्ची से गैंगरेप सहित त्रिलोकपुरी, संगम विहार, जीटीबी अस्पताल में हुई घटनाऐं निर्भया कांड से कमतर नही है. सुरक्षित रोहिणी कोर्ट, साकेत कोर्ट में सरेआम गोली चलना और वजीराबाद में सरेआम युवक की हत्या, आज ब्रजपुरी में 20 वर्षीय युवक की चाकू घोप कर हत्या करने और सीआर पार्क में खुले में गोलीबारी पर पुलिस की निष्क्रियता साबित होती है.

उन्होंने कहा कि देश में होने वाले अपराधों के 36 प्रतिशत मामले दिल्ली में पंजीकृत होना राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाते है .

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि राजधानी में बढ़ते अपराधों को नियंत्रित करने के लिए पहल करके उपराज्यपाल केन्द्रीय गृहमंत्रालय से आग्रह करें कि राजधानी की कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए वह तुरंत हस्तक्षेप करे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस के शासन में दिल्ली पुलिस अपराधों पर अंकुश लगाने में जितनी सक्षम थी आज उतनी ही अक्षम हो गई है.

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि पिछले 10 वर्षों  में दिल्ली को अपराधिक राजधानी बनाने के लिए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पूरी तरह जिम्मेदार हैं.जहां सड़कों, बाजारों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर छीना झपटी, प्रताड़ना, झगड़े, महिला उत्पीड़न की घटनाऐं अत्यधिक बढ़ गई है वहीं यौन उत्पीड़न, बलात्कार और हत्याऐं राजधानी में आम हो चली है.

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल की उदासीनता के चलते पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय साबित हो गई है, जिसका उदाहरण पिछले 10 वर्षाे में राजधानी में 5000 से अधिक हत्याऐं हुई है और प्रतिदिन औसतन 5 बलात्कार की घटनाऐं हो रही है, जो दिल्ली को डराने वाले आंकडे हैं.

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि राजधानी में बिगड़ती कानून व्यवस्था में सुधार लाने की जगह प्रतिदिन हत्याओं, यौन शोषण की घटनाओं से अवगत पुलिस आयुक्त भी दिल्ली वालों की सुरक्षा को लेकर कोई विश्वास नही जता रहे। प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा कि आखिर राजधानी में बढ़ते अपराधों की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्योंकि मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल और पुलिस आयुक्त दिल्ली में हो रहे अपराधों को मूकदर्शक बनकर देख रहे है.