नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली के दिल्ली नगर निगम एमसीडी में मनोनीत निगम पार्षद ( एल्डरमैन ) की नियुक्ति का अधिकार किसको है इसका फैसला सोमवार को देश की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट सुनाइए. सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला करना है कि
MCD में एल्डरमैन नियुक्ति का अधिकार किसको है? निर्वाचित दिल्ली सरकार को या फिर नियुक्त LG को? सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस पर अपना फैसला सुनाएगी.
आपको बता दे की दिसंबर 2022 में दिल्ली नगर निगम का चुनाव संपन्न होने के बाद उपराज्यपाल ने दिल्ली नगर निगम के 10 मनोनीत निगम पार्षद को नियुक्त कर दिया था.
पिछले साल दिल्ली सरकार इस मुद्दे को तब सुप्रीम कोर्ट लेकर गई जब उपराज्यपाल ने अपनी तरफ से MCD में एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) नियुक्त कर दिए.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार का कहना था कि पहले भी दिल्ली में एल्डरमैन की नियुक्ति चुनी हुई सरकार करती रही है, अभी भी ये सरकार का अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में इस मामले की सुनवाई करके फैसला सुरक्षित रख लिया था.
यानि लगभग 14 महीने से अधिक फैसला रिजर्व करने के बाद सुप्रीम कोर्ट अब सोमवार 5 अगस्त को इस पर अपना फैसला सुनाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिल्ली नगर निगम के स्थाई समिति और वार्ड समिति के गठन का भी रास्ता साफ होगा. जिसे लेकर दिल्ली नगर निगम की सत्ता में बैठी आम आदमी पार्टी अस्थाई समिति और वार्ड समिति का गठन नहीं कर रही है.
राजनीतिक दलों की नजर सुप्रीम कोर्ट की तरफ है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर दिल्ली नगर निगम अंकगणित पर पड़ेगा. अगर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के पक्ष फैसला देता है तो आम आदमी पार्टी को इसका बहुत फ़ायदा होगा, दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी और मजबूत होगी. वह अपने मन मुताबिक मनोनीत निगम पार्षद बना सकेगी. वहीं स्थाई समिति और वार्ड समिति का चुनाव भी वह आसानी से जीत सकेगी. वहीं अगर सुप्रीम कोर्ट उपराज्यपाल के पक्ष में फैसला सुनाते हैं तो इसका फ़ायदा भारतीय जनता पार्टी को होगा.