नई दिल्ली : भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पार्षद योगिता सिंह के नेतृत्व में एक दिल्ली भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली नगर निगम एमसीडी MCD के कस्तूरबा गांधी अस्पताल का दौरा किया और वहां की इमारत एवं चिकित्सा अवसंरचना का निरीक्षण किया,
प्रतिनिधिमंडल में दिल्ली भाजपा मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर, पार्षद नीमा भगत, सत्य शर्मा, डॉ. मोनिका पंत, नीता बिष्ट, अलका राघव, और मनीषा पुनिया शामिल थीं.
दिल्ली भाजपा मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कस्तूरबा अस्पताल की दयनीय स्थिति के बारे में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को पत्र भी लिखा है.
पत्र में 22 अगस्त को अस्पताल में हुई बिजली कटौती का विवरण दिया गया है, जो दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक होने वाली थी लेकिन शाम 7.45 बजे तक बढ़ गई. इस कटौती के कारण आई.सी.यू. सेवाएं ठप हो गईं, जिससे वेंटिलेटर पर बच्चे की मौत हो गई. इसके अलावा, बैकअप सिस्टम के खराब होने के कारण तीन प्रसव मोमबत्ती की रोशनी में कराए गए.
दौरे के दौरान, योगिता सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल का दौरा किया, कई मरीजों, परिचारकों, डॉक्टरों, और चिकित्सा कर्मियों से बातचीत की और अस्पताल में कई अवसंरचना की कमी के मुद्दों को नोट किया।
प्रतिनिधिमंडल एक ऐसी महिला से भी मिला जिसकी सर्जरी लगभग अंधेरे में हुई और उन्होने बताया की जब तक बिजली आई उनकी सर्जरी पूरी हो गई थी और टांके भी लग चुके थे।
प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को बताया कि इमारत खराब स्थिति में है, इस प्रसूति अस्पताल में लिफ्ट चालू नहीं हैं, चारों ओर स्वच्छता बदहाल है और बेसमेंट में पानी भरा हुआ देखा जा सकता है.
बच्चों के वार्ड और प्रसूति वार्ड गंदे थे, मरीजों के बिस्तर बहुत पुराने और जर्जर थे और रखरखाव की कमी थी, जिसमें हालिया समय में बेसिक सफेदी तक नही हुई लगती थी.
कई जगहों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते थे और पीछे डॉक्टरों का हॉस्टल सबसे खराब स्थिति में था.
बिजली कटौती से पहले आपातकालीन लाइट्स उपलब्ध नहीं थीं और हॉस्टल की सुविधाएं भी खराब स्थिति में थीं.
इन समस्याओं के बावजूद, प्रतिनिधिमंडल ने डॉक्टरों और पैरामेडिक स्टाफ की कार्य प्रभावशीलता की सराहना की.
भाजपा ने अस्पताल की स्थिति के लिए दिल्ली सरकार द्वारा रखरखाव के लिए धन न देने को जिम्मेदार ठहराया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय से प्रतिक्रिया की मांग की है. उन्होंने बच्चे की मृत्यु की जांच और अस्पताल के बुनियादी ढांचे की समीक्षा की मांग की है.