डॉक्टर डेथ: कैसे डॉक्टर बना ‘मौत का सौदागर’

News Sewa Desk

“जिसने जड़ी-बूटियों से लोगों को जीवन देने की पढ़ाई की, वही इंसान बना मौत का सौदागर “

आयुर्वेद का ज्ञाता, मरीजों का सेवक और समाज का सम्मानित डॉक्टर — यह परिचय था डॉ. देवेंद्र शर्मा का. लेकिन समय ने करवट ली, और वह डॉक्टर बन गया सीरियल किलर. ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से कुख्यात यह अपराधी 125 से ज्यादा अवैध किडनी ट्रांसप्लांट और 50 से अधिक हत्याओं में शामिल रहा.सालों तक साधु का भेष धारण कर पुलिस को चकमा देता रहा। अब आखिरकार दिल्ली क्राइम ब्रांच ने उसे राजस्थान के दौसा जिले से धर दबोचा.

पैरोल से भागा, साधु बन छिपा

2023 में तिहाड़ जेल से दो महीने की पैरोल पर बाहर आया यह अपराधी 03 अगस्त 2023 को वापस जेल नहीं लौटा.उसने जीवन के अपराधी अध्याय को छिपाने के लिए आश्रम का चोला पहन लिया और दौसा में एक छोटे से आश्रम में स्वयं को ‘महात्मा जी’ कहकर लोगों को प्रवचन देने लगा.

दिल्ली पुलिस की 6 महीने लंबी खुफिया जंग

क्राइम ब्रांच, आर.के. पुरम रेंज की टीम को जब यह जानकारी मिली कि पैरोल जम्पर डॉ. देवेंद्र शर्मा अब तक फरार है, तो इंस्पेक्टर अनुज कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई.
दिल्ली, अलीगढ़, जयपुर, आगरा, प्रयागराज जैसे शहरों में महीनों की तफ्तीश और खुफिया जानकारी के बाद आखिरकार टीम को दौसा में एक आश्रम में वह संदिग्ध दिखा. पुलिसकर्मी श्रद्धालु बनकर आश्रम पहुंचे, उसके हाव-भाव पर नज़र रखी, और जब पुख्ता सबूत मिले — तो डॉक्टर डेथ सलाखों के पीछे पहुंचा.

125 किडनी ट्रांसप्लांट, 21 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या, मगरमच्छों से सबूत मिटाया.

1984 में बी.ए.एम.एस. की डिग्री लेने के बाद उसने राजस्थान के बांदीकुई में ‘जनता क्लिनिक’ नाम से अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा की शुरुआत की. लेकिन 1994 में एक गैस एजेंसी घोटाले में 11 लाख रुपये गँवाने के बाद उसकी जिंदगी ने अपराध की राह पकड़ ली.
1998 से 2004 के बीच उसने डॉक्टर अमित नामक व्यक्ति के साथ मिलकर एक अंतरराज्यीय किडनी रैकेट चलाया और 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट कराए. हर एक ट्रांसप्लांट में उसे 5 से 7 लाख रुपये की मोटी रकम मिलती थी

टैक्सी चालकों की करता था हत्याएं

किडनी रैकेट के अलावा वह अपहरण और हत्याओं में भी लिप्त रहा. 2002 से 2004 के बीच दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दर्जनों टैक्सी चालकों का अपहरण कर उनकी हत्या की गई. शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज स्थित हजारा नहर में मगरमच्छों के हवाले कर दिया जाता था ताकि सबूत न बचे. पूछताछ में उसने 50 से ज्यादा हत्याओं की बात कबूल की है.
पैरोल का दुरुपयोग और साधु का भेष

डीसीपी के मुताबिक 2020 और 2023 में उसे पैरोल मिली, लेकिन दोनों बार वह फरार हो गया.पिछले साल जून में मिली दो महीने की पैरोल के बाद वह वापस जेल नहीं लौटा और पुलिस को चकमा देकर गायब हो गया. दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने छह महीने तक गुप्त रूप से छानबीन की और अंततः दौसा के एक आश्रम से उसे धर दबोचा, जहाँ वह स्वयं को साधु बताकर जीवन बिता रहा था।

गिरफ्तारी के बाद देवेंद्र शर्मा ने कबूल किया कि वह जेल नहीं लौटना चाहता था और इसी कारण साधु बनकर छिप गया था। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण और डकैती के 27 मामले दर्ज हैं। उसे फिर से जेल अधिकारियों के हवाले कर दिया गया है।