
मज़दूर दिवस पर दिल्ली के मज़दूरों ने जन्तर-मन्तर पर सभा का किया आयोजन
नई दिल्ली . अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर दिल्ली के विभिन्न क्रान्तिकारी यूनियनों द्वारा मण्डी हाउस से जन्तर-मन्तर तक रैली का आयोजन किया गया .
दिल्ली मज़दूर यूनियन के तत्वावधान में दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन, बवाना औद्योगिक क्षेत्र मज़दूर यूनियन, करावल नगर मज़दूर यूनियन, दिल्ली मेट्रो रेल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन व अन्य यूनियनों ने हज़ारों श्रमिकों के साथ सभा में शिकरत की। पुलिस प्रशासन ने श्रमिकों की रैली को मंडी हाउस में ही रोकने का प्रयास किया। परमिशन न होने का हवाला देकर पुलिस श्रमिकों को एक स्थान पर इकट्ठा होने भी नहीं दे रही थी। प्रशासन ने रैली न निकालने के लिए कोई वैध तथा स्पष्ट कारण नहीं बताया। गौरतलब है कि श्रमिकों ने प्रशासन को अपने आयोजन की सूचना समय रहते ही दे दी थी। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन ने मंडी हाउस पर ही श्रमिकों को बसों में भर कर जंतर-मंतर तक पहुंचाया।
जंतर-मंतर पर पहुंचने के बाद श्रमिकों ने अपनी एकता के दम पर गगनभेदी नारों के साथ अपनी रैली निकाली और सभा भी की। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी तथा बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा भी श्रमिकों की इस रैली का समर्थन किया गया।
गौरतलब है कि 1 मई दुनिया भर के श्रमिकों के उत्सव का दिन है। आज से 136 साल पहले ही अमेरिका के शिकागो शहर में लाखों लाख श्रमिक आठ घण्टे कार्यदिवस की मांग को लेकर सड़क पर उतरे थे। श्रमिकों का नारा था “आठ घण्टे काम, आठ घण्टे आराम, आठ घण्टे मनोरंजन”। इस संघर्ष के पहले श्रमिकों का कार्यदिवस निश्चित नहीं था। श्रमिकों के उस शानदार संघर्ष के ही बौदलत दुनिया भर में आठ घण्टे कार्यदिवास का नियम लागू हुआ था। उसी संघर्ष के याद में दुनिया भर में पहली मई को मज़दूर दिवस मनाया जाता है।
आज दिल्ली तथा देश भर में कहीं भी आठ घण्टे कार्यदिवस का नियम लागू नहीं रह गया है। श्रमिकों ने जो अकूत कुर्बानियाँ देकर अपने लिए हक़ अधिकार हासिल किए थे, वे सब श्रमिकों से छीने जा रहे हैं। केन्द्र में बैठी मोदी सरकार 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को कमज़ोर कर चार श्रम संहिताओं में बदल रही है। केन्द्र तथा राज्य सरकारें धड़ल्ले से मज़दूर विरोधी नीतियों को अंजाम दे रही है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार देश भर में सबसे अधिक न्यूनतम वेतन देने का दावा करती है, लेकिन सच्चाई यह है कि दिल्ली के अस्सी फ़ीसदी से ऊपर श्रमिकों को यह न्यूनतम वेतन मिलता ही नहीं है। दिल्ली में लाखों लाख श्रमिक जो काम करते हैं वे हर प्रकार के हक़ अधिकारों से वंचित हैं। यहाॅं किसी भी कारखाने तथा कार्यस्थल पर किसी भी श्रम कानून की अनुपालना नहीं होती है। रैली में शामिल यूनियनें अलग-अलग समय पर श्रमिक हितों को लेकर संघर्ष करती रही हैं। दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन अभी भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सेविकाओं के मानदेय वृद्धि को लेकर संघर्षरत है।
सभा के दौरान दिल्ली स्टेट आंगनबाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन से शिवानी और भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी के सनी और अन्य वक्ताओं ने सभा को सम्बोधित किया।
अन्तिम में श्रमिकों ने अपनी माँगो का ज्ञापन सौंपा तथा सरकार को इसपर त्वरित कार्यवाही करने की मांग की। श्रमिकों ने कहा कि अगर सरकारें इसी तरह से श्रमिकों की मांगों और उनके संघर्षों को अनदेखा करती रहेंगी तो संघर्ष और विशाल रूप लेगा। श्रमिक प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि सरकार जल्द से जल्द श्रमिकों की मांगों पर ध्यान दे अन्यथा आने वाले समय में दिल्ली की सड़कों पर श्रमिक और बड़ी तादाद में उतरेंगे.